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आजचा सुविचार।
क्या आपको लगता है कि चेतना ही एकमात्र ऐसी “चीज” है जो अनंत है?
फिर से सोचें – मन अनंत है, संसार अनंत है।
संसार में बहुत सारे विकल्प हैं, और प्रत्येक विकल्प में अनंत, अनंत संभावनाएँ हैं।
संसार एक अनंत प्रस्ताव है।
सोचने से सावधान रहें।
विचारहीन आत्मा की सुरक्षित शरण में रहें और यहाँ रहने का आनंद लें, यहाँ बड़े महल बनाने या इस अनंत संसार के मार्ग को बदलने की कोशिश करने का कोई इरादा न रखें।
केवल अंतर यह है – संसार एक अनंत, अनंत भ्रम है, और आत्मा एक अनंत, अनंत वास्तविकता है – आप चुनें।
प्रश्न – “मैंने सोचा था कि संसार सीमित है। आप इसे “अनंत” क्यों कहते हैं?
संसार सीमित है, लेकिन हमारा अज्ञान सीमित नहीं है – यह अनंत है।
आप अनंत काल तक इस अज्ञान में फंस सकते हैं और कभी बाहर नहीं आ सकते।
संसार सीमित से बना हो सकता है, लेकिन संसार की ओर भागने की हमारी अज्ञानता का कोई अंत नहीं है।
संसार का कोई अंत नहीं है और यदि कोई संसार की विकृति और भटकाव के प्रति जागरूक नहीं होता, तो वह सचमुच खो जाता है।
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