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आजचा सुविचार।
जब आप कहते हैं, “मैं हूँ,” तो आप विशाल अस्तित्व (हूँपन) का हिस्सा होते हैं, ईश्वरत्व का हिस्सा होते हैं, और अभी जीवन के अमृत का आनंद लेते हैं।
जैसे ही आप कहते हैं, “मैं यह हूँ, या मैं वह हूँ,” आप खुद को परिभाषित करना शुरू कर देते हैं, खुद को सांसारिक स्तर पर गिरा देते हैं, अपने अहंकार को बचाने और उसकी रक्षा करने लगते हैं।
ऐसा करने से जीवन का अमृत आपसे दूर हो जाएगा।
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