No Video Available
No Audio Available
आजचा सुविचार
शांति से अपने शरीर पर ध्यान करें।
यह प्रकृति की एक सुंदर रचना है।
प्रकृति में, चारों ओर सहजता है।
इसके सहज संचालन में आपकी आवश्यकता नहीं है।
ऋतुएँ बदलती हैं, बाढ़ आती है, ज्वालामुखी फटते हैं, सब कुछ अपने आप होता है।
यह सब समझते हुए, अब अपने शरीर का निरीक्षण करें।
आपका जन्म सहज था, और आपकी मृत्यु भी सहज होगी।
इस बीच, आपका हृदय सहज रूप से धड़कता है, और आपके फेफड़े सहज रूप से सांस लेते हैं।
आप इस संचालन में उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं, जितना आप सोचते हैं।
समस्याएँ तभी शुरू होती हैं, जब हम अन्यथा सोचना शुरू करते हैं, और हमारा मन हस्तक्षेप करना शुरू कर देता है।
जब कोई व्यक्ति संसार नामक इस सहज प्रक्रिया के पीछे भागने लगता है और चीजों को अपना बनाने की कोशिश करता है, और खुद को कर्ता मानने लगता है, तो वह अपनी परम मूर्खता दिखाने लगता है और अपने और दूसरों के लिए समस्याओं को आमंत्रित करता है।
इस पर ध्यान करें।
जो इसे समझता है और इसे एक पर्यवेक्षक की तरह देखता है, वह खुद को एक अलग क्षेत्र, चेतना के क्षेत्र में पाता है।
No Question and Answers Available