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आज का ध्यानात्मक अनुभव.
मैं वही हूं।
मैं सदैव देने वाला, शाश्वत जीवन हूं।
मैंने समय और स्थान बनाया।
जब कोई समय नहीं था, कोई स्थान नहीं था, मैं वहां था।
मैंने सब कुछ और हर किसी को बनाया।
जब वहाँ कुछ भी नहीं था, कोई नहीं था, मैं वहाँ था।
मैं वह अविचल ज्योति हूं जिसके प्रकाश में करोड़ों सूर्य फीके पड़ जाते हैं।
मैं ही एकमात्र सत्य हूं और कुछ भी नहीं।
मैं वही हूं।
Poem – Dr Shrenik Shah
तुम्हारे भीतर एक खजाना छिपा है।
दौड़ना बंद करो।
आराम करें, भीतर खोदें और जीवन के असीमित, अथाह खजाने को लेकर चलें।
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