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शून्यता
हर चीज़ से परे, शून्यता आपके मानस की गहराई तक पहुँच रही है।
शून्य अवस्था हमारा सच्चा स्व है, न कि विचार, विश्वास, राय, वृत्तियाँ और वासनाएँ, जो हमेशा बदलती रहती हैं।
उन पर अपना महल मत बनाओ; यह जल्द ही गायब हो जाएगा।
शून्यता कभी “आती” नहीं और कभी “जाती” नहीं; यह हमेशा मौजूद रहती है।
शून्य अवस्था में रहना परम आनंद और परम संतुष्टि है।
उस अवस्था में, सब कुछ आनंद बन जाता है; हर साँस और हर धड़कन दिव्य उपहार बन जाती है।
अपना महल शून्यता पर बनाओ और हमेशा राज करो।
शून्य अवस्था वह है जहाँ मन नहीं रहता।
यह विश्लेषण करना कि मैं शून्य अवस्था में हूँ या नहीं, आपको इससे बाहर निकालने के लिए पर्याप्त है।
यह इतना सूक्ष्म है।
इसलिए, इसका अनुभव करें, इसे जिएँ, लेकिन इसका विश्लेषण न करें।
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